॥ जय साहेब की ॥

समाधि पर प्रथम भजन

प्रथम गुरु मनायके, सरस्वती वानर राज।
भरी सभा के बीच में, राखो हमारी लाज॥

जय साहिब की बापजी, सत पुरूषां आदेश।
नर चौला को छोड़ के मोजी भया महेश॥

राम दीवाना, प्रेम दीवाना, मन मस्ताना बाबो सा।
आज्यो भाय, करज्यो साय मोजी बाबा ॥टेर॥
सांगलिया की सुरत लगाई, मस्त फकीरी पाई।
लकड़ की धाम, धूणी सर नाम, सरे सब काम,
पल में बाबा। मन मस्ताना बाबो सा॥
बरड़करे बजरंग बण जावे, शीश मुकुट धर नाच दिखावे।
होय असवार, ले हथियार, कर ललकार,
चल दिए बाबा ॥२॥ मन मस्ताना…

सांगलिया के स्वामी राजा, सूरत भजन में ताजा।
अड़कसर आय, स्थान बनाय, दिया पूजाय
साचा बाबा ॥३॥ राम दिवाना…

मोजीदास मस्ताना योगी, चारों कूंट बादशाही भोगी।
बावली फोज, संग में रोज, करती मौज, रहती बाबा ॥४॥
मन मस्ताना बाबा…

सरगोठ ठाकर शरणे आया, उणने सांचा परचा पाया।
जन्मे लाल, बाजे थाल, कर दिया निहाल
पल में बाबा ॥५॥ मन मस्ताना…

ठाकर साहब के हर्ष सवायो, बाबा के बंगलो बनवायो।
सांगल्‍य॓ जाय, छतरी चिणाय, जात दिराय, कंवर की बाबा
॥६॥ मन मस्ताना…

तखत सिंह ने परचो पायो, भंवर ने जीवदान दिरायो।
मोजीदास, पूरों आस, रोग को नाश, कर दियो बाबा॥
॥७॥ मन मस्ताना…

जती सती अब जावण लागा, धर्म पुन्य भारत से भागा।
सत रियो जाय, पाप रहियो छाय, हमको बचाय
मोजी बाबा ॥८॥ मन मस्ताना…

चोला छोड़ हरि रूप बणायो, गुप्त होय कर ध्यान लगायो
मोजी महेश, सिमरू हमेश, काटो कलेश,
स्वामी राजा ॥९॥ मन मस्ताना…

अगम बात बाबो सा पाई, दरगाह की अब करी चढ़ाई।
पायो न पार, सब नर नार, जय जयकार बोलो
बाबा की ॥१०॥ मन मस्ताना…

धन - धन हो मेरे स्वामी राजा
जंगल में बजवा दिया बाजा,
मेला भरपूर, आवो हजूर, संकट दूर।
कर दिया बाबा ॥११॥ मन मस्ताना…

"पन्नालाल" थांके शरणे आया,
समाधि पर ध्यान लगाया,
हर - हर बाप, गुनाह माफ, करज्यो आप।
जय साहिब की ॥१२॥ मन मस्ताना…